Friday, July 26, 2024
spot_img

गैर नृत्य

यदि घूमर लोकनृत्यों की रानी है तो गैर नृत्य लोकनृत्यों का राजा है। यह मारवाड़ एवं मेवाड़ अंचल का प्रमुख लोकनृत्य है।

गोल घेरे में इस नृत्य की संरचना होने के कारण यह ‘घेर’ और कालांतर में ‘गैर’ कहा जाने लगा। नृत्य करने वाले कलाकारों को ‘गैरिया’ कहते हैं।

यह नृत्य होली के दूसरे दिन से प्रारंभ होता है तथा 15 दिन तक चलता है। उन दिनों में मेवाड़ और मारवाड़ में इस नृत्य की धूम मची रहती है। इस नृत्य को देखने से ऐसा लगता है मानो तलवारों से युद्ध चल रहा हो।

इस लोकनृत्य की सारी प्रक्रियाएं और पद संचालन तलवार युद्ध और पटेबाजी जैसी लगती हैं। अब तलवारों की जगह डांडिया अधिक प्रयुक्त होती हैं। यह वृत्त में होता है और नृत्य करते-करते अलग-अलग मंडल बनाये जाते हैं। परम्परागत रूप से यह केवल पुरुषों का नृत्य है किंतु अब स्त्रियां भी इस नृत्य में दिखाई देने लगी हैं।

मेवाड़ और बाड़मेर के गैर की मूल रचना एक ही प्रकार की है किंतु नृत्य की लय, चाल और मण्डल में अंतर होता है। इस नृत्य में जाट, ठाकुर, पटेल, पुरोहित, माली, मेघवाल आदि सभी जातियों के पुरुष भाग लेते हैं। अधिकतर स्थानों पर जातियों के अनुसार गैर टोलियां बनी हुई हैं।

नर्तक सफेद धोती, सफेद अंगरखी तथा सिर पर लाल अथवा केसरिया रंग की पगड़ी बांधते हैं। जालोर आदि क्षेत्रों में नर्तक फ्रॉक जैसी आकृति का एक घेरदार लबादा पहनते हैं तथा कमर में तलवार बांधने के लिये पट्टा भी धारण करते हैं।

गैर लोकनृत्य तीन प्रकार के होते हैं-

(1.) आंगे-बांगे की गैर

(2.) नागी गैर

(3.) स्वांगी गैर

(1.) आंगे-बांगे की गैर को आंगी की गैर भी कहते हैं। इसमें प्रत्येक नर्तक चालीस मीटर के कपड़े से बनी आंगी व बागा पहनता है। कपड़े का रंग सफेद और लाल होता है। नर्तक दोनों हाथों में रोहिड़े या बबूल की डण्डियां लिये हुए ढोल की थाप पर घूमते हुए अपनी डण्डियां आजू-बाजू के नर्तकों की डण्डियों से टकराते हैं।

(2.) नागी गैर को सादी गैर भी कहते हैं। यह दो प्रकार की होती है-

(अ.) डण्डियों वाली गैर में नर्तक परम्परागत वेशभूषा धारण करते हैं। धोती, कुर्ता पूठिया इसकी विशेष पहचान है। पैरों में आठ-आठ किलो के घुंघरू पहनकर नृत्य करते हैं।

(ब.) रूमाल वाली गैर में नर्तक हाथों में तलवारों एवं डण्डियों की जगह रंग-बिरंगे रूमाल रखते हैं तथा ढोल की थाप पर लहराते हुए नृत्य करते हैं।

(3.) स्वांगी गैर- नर्तक हाथ में डण्डियां लेकर नृत्य करते हैं। प्रत्येक नर्तक अलग-अलग वेशभूषा में माली, सेठ, सरदार, साधु, आदि का रूप धारण करते हैं। 

इस प्रकार गैर नृत्य के अनेक प्रकार हैं तथा प्रत्येक प्रकार की अपनी विशेषता है। भारत भर में होने वाले बहुत से नृत्यों में गैर नृत्य की मुद्राएं देखने को मिलती हैं।

-डॉ. मोहनलाल गुप्ता

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

21,585FansLike
2,651FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

// disable viewing page source