पुस्तकें कैटेगरी में डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित इतिहास, कला एवं संस्कृति एवं साहित्य सम्बन्धी ग्रंथों का परिचय एवं कैटेलॉग उपलब्ध कराया गया है। डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने विविध विषयों पर सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं।
यह दुर्ग धरती से डेढ़-दो सौ फुट ऊंची चट्टान जैसी पहाड़ी पर बना हुआ है। दुर्ग के भीतर कई महल हैं। एक विशाल कुंआ भी बना हुआ है। दुर्ग के उत्तर की ओर एक तालाब है।
कर्नल टॉड के अनुसार भैंसरोड़गढ़ का नाम भैंसाशाह नामक व्यापारी तथा रोड़ा नाम के बंजारा के नाम पर पड़ा। उन्होंने इस दुर्ग का निर्माण अपने व्यापारी काफिलों को वर्षाकाल में पहाड़ी लुटेरों से बचाने के लिये करवाया।
नाडोल कस्बे में नीलकंठ महादेव मंदिर के पीछे नाडोल दुर्ग के नाम मात्र के अवशेष स्थित हैं। जब महमूद गजनवी अफगानिस्तान से चलकर थार का रेगिस्तान पार करके अन्हिलवाड़ा तथा सोमनाथ को लूटने के लिये जा रहा था, तब उसने मार्ग में इस दुर्ग को तोड़ा। बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस दुर्ग को नष्ट कर दिया।
भीमदेव अपनी राजधानी अन्हिलवाड़ा को छोड़कर सांचोर चला आया तथा मुहम्मद गजनवी के विरुद्ध मोर्चाबंदी करके बैठ गया। गजनवी ने सांचोर पर आक्रमण किया। कई दिनों की लड़ाई के बाद भीमदेव को सांचौर छोड़कर भाग जाना पड़ा।